हर इक को है एक शिकायत
सबकी अलग अलग वजहें हैं
शिद्दत भी कम या ज्यादा हैं
सारे के सारे कहते हैं
उस थाली में भात अधिक है
कोई ज्यादा परस रहा है
कोई ज्यादा मांग रहा है
कुछ कहते हैं कम देता है
कुछ को दिक्कत अधिक दे दिया
कोई कहता नमक अधिक है
कोई कहता पानी कम है
कोई सादा मांग रहा है
कुछ देशी घी पर अटके हैं
कुछ ना जाने क्यों रूठे हैं
उन्हें शिकायत है तो इतनी
उसने थाली में क्यों छोड़ा
कुछ कहते है वो दरिद्र है
पूरी थाली साफ कर गया
हम सब मिल कर इक समाज हैं
हम सब मे ऐसे अवगुण हैं
एक दूसरे को लक्षित कर
हम संधान किया करते हैं
एक दूसरे को लांछित कर
निज गुणगान किया करते हैं
देखें तो यह सहज प्रश्न है
फिर भी अनसुलझे रहते हैं
आपस मे ही छिद्रों के
अन्वेषण में उलझे रहते हैं
इस अनसुलझे से सवाल का
कोई हल हो तो समझाना
वरना हमें शिकायत होगी......
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