मेरी हस्ती उजड़ती जा रही है।

मेरी खुशबू बिखरती जा रही है।।

कोई कह दो उसे मत याद आये

खुमारी सी उतरती जा रही है।।

सुपुर्दे-खाक़ कर दो वक्त रहते

मेरी उम्मीद मरती जा रही है।।

मुहब्बत में मेरी तासीर है क्या

सरापा वो सँवरती जा रही है।।

वो कहते हैं अभी नादान हूँ मैं

जवानी है गुज़रती जा रही है।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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