मुझसे अपनेपन की बातें कौन करे।
मेरे खालीपन की बातें कौन करे।।
सुन कर औरों से कह कर इठलायेगा
उससे अपने मन की बातें कौन करे।।
एक वही मन वृन्दावन की रौनक था
अब मिश्री माखन की बातें कौन करे।।
जिन अपनों ने यादों में उलझाया है
उन से ही उलझन की बातें कौन करें।।
तब दीवाने जान लुटाया करते थे
अब दीवानेपन की बातें कौन करें।।
उनको दर्द दिखाने का है मतलब क्या
पत्थर से दर्पन की बातें कौन करे।।
धीरे-धीरे सारे साथी चल निकले
अब मेरे बचपन की बातें कौन करे।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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