तुम कौन! जन्म ले धरती पर

यूँ पड़े धूल धुसरित होकर

क्या  तुम हो इस युग की पुकार

या हो अव्यवस्था के शिकार

या मूक बधिर है यह समाज

क्या ऐसा ही था कंस राज

क्यों कर इतने निष्ठुर युग में

किलकारी भरने आते हो

वह युग जिसमें प्रत्येक श्रवण

चीखें सुनने का आदी है

वह युग जिसमें जीना मुश्किल

बस मरने की आज़ादी है.....

सुरेश साहनी, कानपुर

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