#मार्केटिंगहथकंडेऔरहम#

 कल एक मित्र ने कहा कि मैं आज #दिलवाले फ़िल्म देखकर आया हूँ , अभी दो बार और देखूंगा।मैंने कहा अच्छी बात किन्तु  इससे समाज को क्या मिलेगा ।वे हंस कर कहने लगे की  इससे कट्टरपंथी ताकतें कमजोर होंगी।मुझे लगा की कहीं न कहीं हम सब भ्रमित हैं या हो रहे हैं। विवाद अब विवाद कम किसी स्ट्रेटजी का हिस्सा अधिक लगने लगे हैं।नेता अभिनेता व्यापारी सब के सब अपनी मार्केट तैयार करने में इस रणनीति का सहारा लेने लगे हैं।विरोध होने से प्रचार होता है।टीआरपी बढ़ती है।समर्थन और विरोध के पैसे लिए दिए जाते हैं।हर धर्म के कट्टरपंथियों ने दुकानें सजा रखी हैं।वे किसी भी नीचता तक जा सकते हैं,भले ही समाज और मानवता को कितना ही नुकसान पहुँचता हो।कहीं न कहीं यह कुशल मार्केटिंग का मकड़जाल ही है।इसमें हम भावुक भारतीय लोग कुछ ज्यादा ही उलझ जाते हैं।और देश के दुश्मन भी इसका लाभ उठाने का मौका नहीं चूकते।और इससे भी ज्यादा पीड़ा तब पहुंचती है जब #शाहरुख़खान जैसे कलाकार भी इस घृणित कार्य में सम्मिलित हो जाते हैं।मैं इस घृणित बाजारवाद की कड़ी निंदा करता हूँ।

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