चाँद फिरे है मारा मारा।
जैसे हो कोई बनजारा।।
किसने उसके ग़म को समझा
बस कह देते हैं आवारा।।
तन्हा तन्हा जलते रहना
किस्मत का है दूर सितारा।।
युग युग से देता आया है
दिल वालों को चाँद सहारा।।
चाँद दिखे तो दिख नाता है
ग़म का घटता बढ़ता पारा।।
दिल से दिल तक संदेशों का
अक्सर चाँद रहा हरकारा।।
आशिक से लेकर मामा तक
उसने हर रिश्ता स्वीकारा।।
Comments
Post a Comment