आपका हक़ है सताया करिये।
पर मुझे यूँ न पराया करिये।।
चाँद पे दाग के मानी जो हो
यूँ लबे-बाम न आया करिये।।
इक ज़रा दाग से रुसवा होंगे
साफ दामन हैं बचाया करिये।।
दीजिये कुछ तो सम्हलने का हुनर
जब भी नज़रों से गिराया करिये।।
अब तकल्लुफ़ की ज़रूरत क्या है
बेझिझक ख़्वाब में आया करिये।।
सुरेश साहनी ,कानपुर
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