इन गहरी चालों में फंसकर 

सत्ता के जालों में फंसकर

अपना दुःख पीछे करती है

जनता ऐसे ही मरती है।।

तुम बसते हो इसका कर दो

तुम हँसते हो इसका कर दो

तब जनता खुद पर हंसती है

जनता ऐसे ही मरती है ।।

अब नोट नए ही आएंगे

कुछ नोट नहीं चल पाएंगे

फाके में फिर भी मस्ती है

जनता ऐसे ही मरती है।।

जाएगा उनका जाएगा

आएगा अपना आएगा

ये सपने देखा करती है

जनता ऐसे ही मरती है।।

कोई राजा बन जाता है

जनता को क्या दे जाता है

जनता जनता ही रहती है

जनता ऐसे ही मरती है।।

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