हुस्न की दरिया का पानी पा गए।
और वो फिर से जवानी पा गए।
वो थे सहरा में कोई सुखी नदी
इश्क़ में फिर से रवानी पा गए।।
देखकर उनको न जाने क्यों लगा
ज़िन्दगी में जिंदगानी पा गए।।
हाय रे उनका तसव्वुर क्या कहें
ख़्वाब कोई आसमानी पा गए।।
धूप गुनगुन रुत गुलाबी हो गयी
जब वो आँचल जाफ़रानी पा गये।।
सुरेश साहनी
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