सफ़र से हार कर लौटा नहीं हूँ।

थका तो हूँ मगर टूटा नही हूँ।।

तुम्हारा हूँ तुम्हारा ही रहूँगा

फ़क़त मज़बूर हूँ झूठा नहीं हूँ।।

विरासत में दुआयें ही मिली है

मैं आलमगीर का बेटा नहीं हूं।।

सियासत मेरे बस की तो नहीं है

ज़ुबाँ देकर कभी पलटा नहीं हूँ।।

भले दौलत नहीं शोहरत नहीं है

नसीबन दिल से मैं छोटा नहीं हूं ।।

मुहब्बत की कसौटी पर उतारो

खरा निकलूँगा में खोटा नहीं हूँ।।

सुरेशसाहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है