का बतियायीं का बाचल बा

अब ते कईसो बीत रहल बा

बाग बगइचा आ बँसवारी 

उहो खाली नाम बचल बा

हेल के जाईल बन्द भईल अब

नारा उप्पर पूल बनल बा

कटरी में अब खेती होता

पोखरा पूरा पाट गईल बा

ईया बाबा अब न भेटईहें

लईकन से का भेंटे चलबा

अब केके के चीन्हे जाता

के उपराता के बूड़ल बा

बड़को बाबू अब का चिन्हीहें

उनहुँ के चश्मा टूुटल बा

नवकन से कुछ मतलब नईखे

का बाचल का छूट रहल बा

बाबू तुंहयीं आईल करिहS

तुहरे से कुछ आस बन्हल बा

हमहुँ केतना दिन अब जीयब

हमरो बेला आय गईल बा

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है