इश्क़ के बाज़ार जाना चाहता हूँ।

दर्द के उस पार जाना चाहता हूँ।।

इस जगह जज्बात की क़ीमत नहीं है

दूसरे दर द्वार जाना चाहता हूँ ।।

सुनते हैं मक़तल ही यारब की गली है

मैं वहीं हर बार जाना चाहता हूँ।।

जीतने की ज़िद में सब कुछ खो चुका हूँ

इसलिए मैं हार जाना चाहता हूँ।।

सुरेश साहनी

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