कइसे कटी राजा रउरे बिना ई जवनिया।।

देहीं के बत्था त नउनिये छोड़ाई।

हियरा के बत्था हम केकरा बतायीं

ननदी से कइसे कहीं रउवा के बतिया

माई के बताई त हो जाई न संसतिया

निंदियो भईल बाटे आजु बैरनियाँ।

कइसे कटी राजा रउरे बिना ई जवनिया।।

पोरे पोरे राजा जी उठेले लहरिया

बिछीया के डंक जैसे चढ़े विषहरिया

काम नाही करे कवनो बैद के दवाई

रतिया में राजा चाहे केतनो नहाइ

तनिको सोहाला नाही देवरा के बनिया।

कइसे कटी राजा रउरे बिना ई जवनिया।।

सुरेश साहनी

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