चाल सूरज की अनमनी है कुछ।
आज सहमी सी रोशनी है कुछ।।
तीरगी चल रही है इठलाकर
लग रहा है तनातनी है कुछ।।
रात मौसम उदास था बोला
कट गई और काटनी है कुछ।।
रात अश्कों से तर रही होगी
सुब्ह शबनम से भीगनी है कुछ।।
चाँद आवारगी पे उतरा है
अब भी बहकी सी चांदनी है कुछ।।
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