ज़ेब थी दौलत न थी।

दर्द था फुर्सत न थी।।

मिल न पाये रंज है

मत कहो चाहत न थी।।

क्या कहें किससे कहें

प्यार था हिम्मत न थी।।

थाम लेते क्या करें

हाथ था किस्मत न थी।।

खूबसूरत खूब था

दिल भी था,उल्फ़त न थी।।

मैंने चाहा था उसे

भूल थी जेहनत न थी।।

सुरेश साहनी , अदीब

कानपुर, 945154532

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है