अहले-हुस्न तुम्हारे किस्से।
अपना इश्क़ हमारे किस्से।।
कांटे पत्थर के रस्ते पर
फूलों जैसे प्यारे किस्से।।
फिसलन रपटन वाली मंजिल
फिर भी बने सहारे किस्से।।
सेहरा कितनों की किस्मत है
अक्सर रहे कुँवारे किस्से।।
कहते भी तो किससे कहते
सब थे थे बेचारे किस्से।।
सुरेश साहनी
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