अज़ीब परम्परा सी चलाई जा रही है।

कभी कोई मोम सी गुड़िया 

तो कभी मोमबत्ती जलाई जा रही है।।

अब यह दोनों कार्य 

इस तेजी से हो रहे है,

समझ में नहीं आता

क्या किसके उपलक्ष्य में 

मनाया जा रहा है

बेटियों के लिए मोमबत्तियां

या मोमबत्तियों के लिए 

बेटियों को जलाया जा रहा है।।


सुरेश साहनी,कानपुर

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