जीना गुनाह है यहाँ मरना गुनाह है।

सरकार से सवाल भी करना गुनाह है।।


सरकार की अदा है बदल जाना बात से

किसने कहा है उनका मुकरना गुनाह है।।


सँवरे बगैर हुस्न कयामत है यार का

उसकी नज़र में कत्ल न करना गुनाह है।।


सिजदे में सिर है ज़ेहन है इबलीस की नज़र

बेशक़ ख़ुदा के नाम पे डरना गुनाह है।।


सिर लेके चल रहे हो मुहब्बत की राह पर

यूँ इश्क़ की गली से गुजरना गुनाह है।।


जब लोग जी रहे हैं उन्हें देख देख कर

ये मत कहो कि उनका सँवरना गुनाह है।।


दरअस्ल आशिक़ी का मज़ा डूबने में हैं

फिर कारोबारे-ग़म से उबरना गुनाह है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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