आपकी वाह वाह गिरवी है।

हर हँसी हर कराह गिरवी है।।


अपनी मर्जी से रो न दीजेगा

जबकि नाला ओ आह गिरवी है।।


आप की कोई हैसियत है क्या

आज जब बादशाह गिरवी है।।


सारी दुनिया है ज़र की मुट्ठी में

हर सफ़ेदो सियाह गिरवी है।।


कौन से दर प हाजिरी देगा

आज हर ख़ानक़ाह गिरवी है।।


आज लहरें सहम के उठती हैं

हर लहर की उछाह गिरवी है।।


मिल गए हो तो वर्जना कैसी 

किसने बोला गुनाह गिरवी है।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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