वो ख्यालों में आज आये फिर।

ज़ख़्म सीने के जगमगाये फिर।।


अपने माज़ी को हमने फिर देखा

जुल्म गिन गिन के याद आये फिर।।


आज फिर तीरगी ने घेर लिया

हमने ग़म के दिये जलाये फिर।।


दिल जहाँ दर्द से कराह उठा

हम वहीं ख़ुद पे मुस्कुराए फिर।।


कितनी मुश्किल से जोड़ पाए हैं

डर तो है दिल न टूट जाये फिर।।


जो हमें हर तरह से भूल गया

याद आ आ के क्यों सताए फिर।।


जानोदिल सब तो दे दिया उनको

और क्या है कि लूट जाए फिर।।


आज भी उस पे एतबार नहीं

कौन अब उसको आजमाए फिर।।


एक उसके क़रीब आने से

कितने अपने हुए पराए फिर।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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