बताओ कौन सी हद पार कर लें।
ख़्याल आया है तुमसे प्यार कर लें।।
खिले हैं फूल हरसू हैं बहारें
चलो हम तुम मिलें अभिसार कर लें।।
तुम्हें रुसवाईयों का डर न हो तो
तुम्हारे ख़त को हम अख़बार कर लें।।
ज़माना तो अज़ल से ही अदूँ हैं
अगर तुम साथ दो यलगार कर लें।।
सज़ा दे दो तुम्हें तस्कीन हो तो
कहो क्या क्या खता इक़रार कर लें।।
मुहब्बत है अगर दरिया ए आतिश
कहो तो यह नदी भी पार कर लें।।
अगर आओ हमारा हाल लेने
तो ख़ुद को आपका बीमार कर लें।।
सुरेश साहनी, अदीब
कानपुर
9451545132
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