मां माथा छूकर कहती थी ,मेरा बेटा कैसा है?
चेहरा देख बता देती थी बेटा कबसे भूखा है।।
सुबह बता देती थी बेटा सारी रात नही सोया।
उसे पता था बेटे का दिल खुश है या रोया धोया।।
घर से बाहर जब निकलो तो खूब बलैया लेती थी।
घर लौटूँ तो सबसे पहले मां अगवानी करती थी।
मेरे बढ़ने या पढ़ने में आधी मेहनत माँ की है।
मेरी हर उपलब्धि समझ लो देन हमारी माँ की है।।
माँ अनपढ़ थी पर मेरे मन की भाषा पढ़ लेती थी।
मांगो रोटी एक किन्तु वह दो रोटी दे देती थी।।
अब भी घर या बाहर जब भी आना जाना होता है।
माँ के आशीषों का सर पर ताना बाना होता है।।
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