इक इशारा नहीं जवाब नहीं।

इतने नादान भी जनाब नहीं।।

बेनयाज़ी की कोई हद तो हो

इश्क़ इतना भी बेहिसाब नहीं।।

गुल कि गुलदान या चमन कुछ हो

इश्क़ माँगा है इक गुलाब नहीं।।

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