मैं कवि कैसे हो सकता हूँ
शब्दो की चाशनी बनाकर
या भावों का तड़का देकर
बाजारों में बिक सकता हूँ।।
भाषा संस्कृतनिष्ठ बनाकर
अरबी-उर्दू वर्क सजाकर
अच्छा सेलर बन सकता हूँ।।
इधर उधर से जोड़ तोड़कर
खींच खाँच कर नोच नाच कर
मैं मंचो पर तन सकता हूँ।।
बेसिरपैर कहानी कहकर
भाषा में सस्तापन लाकर
क्या मैं कवि कहला सकता हूँ।।
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