रक्स करने के कुछ बहाने दे।

ज़िन्दगी साथ गुनगुनाने दे।।

कुछ तो मेरा भरम बनाये रख

आजमाऊँ तो आजमाने दे।।

फूल उम्मीद कर के आये हैं

अपनी जुल्फों में घर बनाने दे।।

प्यार में साएबां मिले ना मिले

अपनी पलकों के शामियाने दे।।

बेख़ुदी इश्क़ की ज़रूरत है

लड़खड़ाऊं तो लड़खड़ाने दे।।

तीरगी ख़ुद पनाह मांगेगी

एक जुगनू तो जगमगाने दे।।

जुल्म को इश्तेहार से डर है

ज़ख्म दीवार पर सजाने दे।। 


सुरेश साहनी, कानपुर

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