ऐसे बोरा बिस्तर लादे फिरते हैं।
जैसे गहना जेवर लादे फिरते हैं।।
हम बच्चों की दौलत क्या है बस्तों में
सीपी कन्चे पत्थर लादे फिरते हैं।।
थक जाते हो जितनी ज़िम्मेदारी से
हम तो उतना अक्सर लादे फिरते हैं।।
हम बंजारों की किस्मत है सड़कों पर
हम परिवार नहीं घर लादे फिरते हैं।।
विक्रम के बेताल सरीखी सरकारें
जिनको हम सब सिर पर लादे फिरते हैं।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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