बदलते वक्त में ठहरे हुए हो।
वफाओं में अगर जकड़े हुए हो।।
ये रिश्ते सर्द होते जा रहे हैं
चलो बाहर कहीं ठिठुरे हुए हो।।
तुम्हे बिंदास होना चाहिए था
यहाँ तुम खुद में ही डूबे हुए हो ।।
वो यादें नाग बनकर डस रही है
जिन्हें तुम आजतक पाले हुए हो।।
तुम्हे किसने कहा शीशे में उतरो
अगर तुम इस कदर टूटे हुए हो।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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