बात इतने से बन न पाई तो।

जीस्त फिर भी न मुस्कुराई तो।।


हम कहीं और दिल लगा तो लें

पर मुहब्बत न रास आई तो।।


उनसे बिछुड़े तो होठ सी लेंगे

पर कहीं आँख डबडबाई तो।।


हो शहीदों में नाम अपना भी

ज़िन्दगी प्यार में लुटाई तो।।


फिर नशेमन बना के क्या होगा

अपनी किस्मत में है गदाई तो।।


उस ख़ुदा को सलाम कहिएगा 

है वहाँ तक अगर रसाई तो ।।


क्यों बतायें अदीब अनपढ़ है

आपने भी हँसी उड़ाई तो।।


गदाई/ फ़कीरी

रसाई/सम्बन्ध ,पहुँच


सुरेश साहनी, अदीब

कानपुर

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