अधर अधर पर गीत लिख गया।
श्वास श्वास संगीत लिख गया।।
मन ने मन भर मन से खेला
मनभावन मनमीत लिख गया।।
ऋतु राजा का ऐसा शासन
टूट गए सारे अनुशासन
कहाँ वर्जना रह जाती जब
मदमाते इठलाते यौवन
शिथिल हुए लज्जा के बन्धन
हृदय हार कर जीत लिख गया।।
बचपन जैसे शावक छौने
गुड्डे गुड़िया खेल खिलौने
यौवन जैसे मृग माया में
भटका इस कोने उस कोने
वर्धापन भविष्य को त्रुटिवश
स्मृति धुन्ध अतीत लिख गया।।
सुरेश साहनी,कानपुर
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