औपचारिक प्रेम में हमने बिताई ज़िन्दगी।

क्या कहें हमने बिगाड़ी या बनाई ज़िन्दगी।।

जीत कर हारे जुआरी की तरह जीते रहे

यार फिर किसके लिए हमने लुटाई ज़िन्दगी।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है