खुद को बरबाद कर रहे होंगे।

तुम मुझे याद कर रहे होगे।।

मंच से गीत मेरे  चोरी से

पढ़ के दिल शाद कर रहे होगे।।

दिल के बंधन में बांध कर मुझको

खुद को आज़ाद कर रहे होंगे।।

एक शायर का मर्सिया कहकर

ज़ीस्त आबाद कर रहे होगे।।

कैसे कह दे ग़ज़ल चुराते हो

कोई इज़ाद कर रहे होगे।।

देख मुझको नज़र  

रब से फरियाद कर रहे होगे।।

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