मैं पीड़ाओं का वारिस हूँ है पीड़ाओं से प्यार मुझे।

मैंने कब मांगा है किससे दे खुशियों का संसार मुझे।।


सब अपनी ख़ातिर जीते हैं

क्यों होगा कोई हर्ज मुझे

उतनी ही गर्ज़ उन्हें होगी

उनसे जितनी है गर्ज़ मुझे


स्वीकार करेगा जग जितना

है उतना ही स्वीकार मुझे।।.....

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