हमें तुम वादियों में छोड़ आये थे।

घरौंदा दिल का मेरे तोड़ आये थे।।

बरस पच्चिस मेरे  गुज़रे हैं कैसे

न पूछो यार तुम  मुंह  मोड़ आये थे।।

सुरेशसाहनी

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