तुम्हे मालूम है किसकी कमी है।
तुम्हारा आ ही जाना लाज़मी है।।
मेरी आँखों में आँसू है ये सच है
तुम्हे क्या लग रहा यूँ ही नमी है।।
यहाँ मौसम गुलाबी हो गया है
तो फिर क्यों बर्फ़ रिश्तों में जमी है।।
हमारा इश्क़ है क़ायम अज़ल से
ये मत समझो कि चाहत मौसमी है।।
तेरी आँखों में भी है लाल डोरे
तुम्हारा जिस्म बेशक गंदुमी है।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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