केवल लिखना  लिखते जाना

भाषा बन्ध न ताना बाना...... केवल लिखना

कूड़ा करकट  उतरन कतरन

प्रणयाकुलताओं का उगलन

कुछ उच्छ्रंखल कुछ मनमाना....केवल लिखना

सदा वर्जनाओं का लंघन

जैसे वर्ष-अंत तक फागुन

मस्तों का मदमाते जाना.....केवल लिखना

कवियत्री-कवियों का मेला

अगणित कविताओं का रेला

केवल लाइक दर्ज कराना....केवल लिखना

मतलब की भी बेमतलब भी

होती नहीं निरर्थक तब भी

करतब है मोती चुन पाना.....केवल लिखना

क्या कुछ पाना ही है हासिल

कदम कदम पर है एक मंजिल

क्या है खोना क्या है पाना....केवल लिखना

सुरेशसाहनी, कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है