कब कहा तुम उदास हो जाओ।
बस मेरे ग़मशनास हो जाओ।।
दूरियां दूरियां बढ़ाती हैं
पास हो और पास हो जाओ।।
तुम हो गोया बहार फागुन की
खिल उठे मन-पलाश हो जाओ।।
इन फ़िज़ाओं की मान्दगी जाये
तुम जो अहले-उजास हो जाओ।।
तिश्नगी बेहिसाब है अपनी
होठ मैं तुम गिलास हो जाओ।।
मैं तुम्हारा हिज़ाब बन जाऊं
तुम हमारा लिबास हो जाओ।।
सुरेशसाहनी
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