दिन तो आएंगे गुज़र जाएंगे।
तय करें आप किधर जाएंगे।।
हुस्न कुछ और निखर उट्ठेगा
इश्क़ कर लीजै सँवर जाएंगे।।
तंग आयें हैं निगहबानी से
अब सरेआम उधर जाएंगे।।
अब ज़माने को अदूँ होने दो
यूँ ज़माने से न डर जाएंगे।।
आज तूफाँ को भी किश्ती कर के
पार जाना है अगर जाएंगे।।
प्यार का हाथ पकड़ कर चलिए
फूल राहों में बिखर जायेंगे।।
प्यार वो किश्ती है जो लेके अदीब
हर समंदर में उतर जाएंगे।।
सुरेश साहनी, अदीब
कानपुर
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