उसके चेहरे पे है मलाल कोई।

उसकी आँखों मे है सवाल कोई।।

नींद पर बोझ सी लगी यादें

चुभ रहा है उसे विसाल कोई।।

वस्ल थी या कि हिज़्र का आगाज़

कर रहा था यही कमाल कोई।।

हर खुशी को बड़े सलीके से

कैसे करता रहा हलाल कोई।।

उसको बाँटा यूँ उसके अपनों ने

ले गया जिस्म कोई खाल कोई।।

सुरेश साहनी,कानपुर

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