तुहरे जइसन बहार के होई।

अउर  दूसर हमार के होई।।

हमके कवनो सिंगार ना चाही

तुहसे बढ़कर सिंगार के होई।।

घर के अंहियार दूर कईले हऊ

एतना  उजियारदार के होई।।

मान सम्मान सब  ते तुहसे बा

हमरा ले भागदार के होई।।

खोजि आवS त्रिलोक में जा के

हमरे लेखा तुहार के होई।।

#भोजपुरी

सुरेश साहनी, कानपुर

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