खाक़ करते कोई दवा यारब।

काम आती अगर दुआ यारब।।


हुस्न क़ातिल कहाँ हुआ इतना

जितनी क़ातिल थी वो अदा यारब।।


दर्दे दिल से निजात दे अब तक

कोई मरहम नहीं बना यारब।।


इश्क़ होता है जानलेवा भी

ये नहीं था हमें पता यारब।।


कुछ तो डर होगा इब्ने आदम से

छुप  के रहता है जो ख़ुदा यारब।।


यार वो वक़्त का सिकन्दर था

एक दिन हो गया फना यारब।।


कल ज़माना हमें भी ढूंढेगा

हम भी हो जाएंगे हवा यारब।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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