निज पिता की गोद से नीचे उतर कर 

और चलकर के  पिया   का अंक पाना

यह नियति  है और प्रकृति की मांग भी है 

प्रिय अहम को छोड़कर नीचे गिरो तो

प्रेम की खातिर न त्यागोगे अहम को

पा सकोगे किस तरह तुम तब स्वयं को

सोSहम है शिव  ये शिवता ही सृजन है

सोSहम ही काम से रति का मिलन है

 मात्र है यह देह आदिक धर्म  साधन 

एक है हम एक वह शाश्वत चिरंतन

जानकर अनजान फिर क्यों बन रहे हो

यदि न गिरते क्या जटाओं में ठहरते

अब जटाओं से पतन में डर रहे हो

हो सहज अस्तित्व अपना भूल जाओ

आओ प्रिय प्रिय की भुजाओं में समाओ.....


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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