तुमसे प्यार पुनः कर लेता

यदि ऐसा सम्भव होता तो

दिल में तुम्हे बसा ही लेता 

यदि टूटा  दिल जुड़ पाता तो....


माना तुमको पछतावा है

अपने पिछले बर्तावों पर

मादक यौवन सुन्दरता पर

अहंकार जैसे भावों पर


बेशक़ उन्हें भुला देता मैं

यदि सचमुच बिसरा सकता तो.....


दर्पण जैसा टूटा था मैं

टुकड़े टुकड़े किरचे किरचे

अब खंडित निर्मूल्य हृदय को

कौन समेटे किस पर खर्चे


मैं इतना कमजोर न होता

तुमने साथ दिया होता तो......


क्या खोया क्या पाया छोड़ो

उन की चर्चा उचित नहीं है

प्रेम कोई व्यापार नहीं था

जीवन अपना गणित नहीं है


हानि लाभ से परे प्रेम है

तुमने जान लिया होता तो.....


 

Suresh sahani

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