अब अपना घरबार सम्हालो।
खुशियों का संसार सम्हालो।।
भूल भाल सब बात पुरानी
छोडो बीती राम कहानी
अब अतीत की गठरी फेको
वर्तमान का भार सम्हालो।।
अब अपना घरबार सम्हालो।।
बचपन के सब खेल खिलौने
घर आँगन के पिल्ले छौने
गुड्डे गुड़िया सखी सहेली
छोड नया परिवार सम्हालो।।
अब अपना घर बार सम्हालो।।
माना तुमने प्यार किया है
पर समाज की मर्यादा है
मात पिता घर लोक लाज की
गिरती हुयी दीवार सम्हालो।।
अब अपना परिवार सम्हालो।।
सुरेशसाहनी
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