ये मुलाकात भी ज़रूरी थी।
आपसे बात भी ज़रूरी थी।।
हम जिसे आज तक नहीं भूले
वो हंसी रात भी ज़रूरी थी।।
जब कि खुशियों की हो उठी अर्थी
गम की बारात भी ज़रूरी थी।।
क्यों कफ़न के लिए हुआ चंदा
क्या ये खैरात भी जरूरी थी।।
हम जो दामन निचोड़ कर रोए
एक बरसात भी ज़रूरी थी।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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