इश्क़ करते तो ग़म में मर जाते।

या खुशी के वहम में मर जाते।।


मयकदे में बचा लिया वरना

हम तो दैरो- हरम में मर जाते।।


हुस्न जलवा नुमा न होता तो

इश्क़ वाले शरम में मर जाते।।


उन निगाहों की ताब हयअल्लाह

आप तो ज़ेरोबम में मर जाते।।


इक नज़र उसने डाल दी वरना

हम निगाहों के ख़म में मर जाते।।


हम तो फिर भी यहां चले आए

आप पहले कदम में मर जाते।।


तुम ने नाहक जतन किए इतने

साहनी इससे कम में मर जाते।।


सुरेश साहनी कानपुर

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