ऋतु हुई सावनी सावनी।

बज उठी प्यार की रागिनी। 


तुम यहाँ पर नहीं हो सजन

लग रहा पर यहीं हो सजन

मेघ के हाथ सन्देश है

देख पढ़ लो कहीं हो सजन

आस पर ना गिरे दामिनी...ऋ


आप नैनों में क्या आ बसे

तीर दिल मे कई आ धँसे

मन पे काबू न तन पे रहा

कौन अब जीन मन की कसे

तन हुआ दर्द की अलगनी....ऋतु


सुरेश साहनी

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