जो भी चाहो वही सज़ा देना।
पर खताएं मेरी बता देना।।
बददु आएं भी रास आती है
कब कहा है मुझे दुआ देना।।
क्या ज़रूरत है तुमको खंजर की
सिर्फ़ हौले से मुस्कुरा देना।।
फिर से तुमको गले लगाना है
एक हल्का सा फासला देना।।
वो इसे इश्तेहार कर देंगे
खत रकीबों को मत थमा देना।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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