जाने कैसे ये काम कर बैठे।

दिल को उनका निजाम कर बैठे।।


कह दो तनहायियों की आंधी में

मेरी यादों को थाम कर बैठे।।


कह दो नाह ख़ुदा न रक्स करे

बेखुदी में सलाम कर बैठे।।


उसने बोला था इंतजार करो

हम ही जल्दी कयाम कर बैठे।।


एक बुत को बिठा लिया दिल में

अपनी हस्ती हराम  कर बैठे।।


सुरेश साहनी कानपुर

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