वो जो सचमुच कमाल लिखता है।

वो रियाया का हाल लिखता है।।


पद्मश्री पर नज़र फलाने की 

हुक्मरां के ख़याल लिखता है।।


लोग दैरोहरम के आदी है

कौन अब भात दाल लिखता है।।


हर कोई बह रहा है धारा में

हर कोई भेड़चाल लिखता है।।


हमने लिक्खा जो सल्तनत बहरी

सब ये बोले बवाल लिखता है।।


झूठ जिसका उरूज़ है तय है

सच उसी का ज़वाल लिखता है।।


अदीब कुछ भी मिले मिले न मिले

कब कलम से मलाल लिखता है।।


सुरेश साहनी , अदीब

कानपुर

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