ज़ौक़ ग़ालिब हैं ज़फ़र हैं मुझ में।

शेर कहने का हुनर है मुझ में।।

अब भी आंखों में हया है मेरी

अब भी मां बाप का डर है मुझ में।।


Suresh Sahani

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